Monkeypox Virus Kya Hai? Janiye Kaise Felta hai | Monkeypox Virus in Hindi

Monkeypox Virus In Hindi : आज की इन बढती समस्याओं को लेकर पूरे देश मे अफरा- तफरी सी मच गयी है , लेकिन एक बात यह भी गोर करने वाली है की जहाँ मुसीबत है तो उनसे बाहर आने के निदान भी है। देश मे कोरोना जैसी इतनी भयंकर महामारी आयी थी कि उसने देश को अपने जाल मे इस तरह से ले लिया था जैसे कोई मकड़ी अपना जाला बनाती है, ठीक उसी तरीके से मंकीपोक्स जैसी बीमारी ने कई राज्यों को अपनी चपेट मे ले लिया है।

Monkeypox virus in hindi

बहुत से लोगो के मन मे इस बीमारी को लेकर बहुत से सवाल उठते है जैसे- मंकीपोक्स क्या है, इसका विकास कैसे हुआ, यह कैसे फैलता है, इसकी रोकथाम कैसे हो, इन सब सवालों के उत्तर हम आपको इस पर बारीकी से नज़र डालते हुए बताते है।

एक कथन ये भी की की इस मंकीपोक्स वायरस (monkeypox virus in hindi) ने अभी कुछ ही देशो मे अपना कहर बरसाया है , हमारा भारत देश इसकी चपेट से बाहर है। कोरोना जैसी बीमारी का अनुभव हम में से किसी को भी नही था जिसके इलाज में बहुत देर हुई और कई मौतें भी हुई।

लेकिन मंकीपोक्स बीमारी के बारे मे हम सब जानते क्योंकि इसके लक्षण हम सभी को पता है और हम असानी से समझ सकते है। आज जो हो रहा है हमारे देश मे उसके जिम्मेदार खुद हम खुद ही है ये  क्योंकि लोगों ने अपना खाने में इतनी मिलावटे कर ली है कि वह सोचते नही है की वह क्या खा रहे हैं। मांस का सेवन करना इतना अच्छा लगता है लोगो को की मानो वो उनकी जिंदगी का हिस्सा हो।

इन संक्रमण के कुछ नियम बनाये गए है लेकिन लोग इन नियमोें का पालन नही करते। मांस खाने के लालच मे वह संकृमित जानवर के भी मांस का सेवन कर लेते है। जब इस रोग के बारे मे पता है तो भी लोग इसका घरेलू इलाज की सोचते है जिससे उस मरीज को ठीक होने मे समय लगता है।

कोरोना जैसी बीमारी तो अभी नयी है जिसके इलाज में देरी हो सकती है लेकिन मंकीपोक्स वायरस (monkeypox virus in hindi) के नाम हमने  पहले भी सुना है जिसके कारण हमें इसका पर्याप्त उपचार मिलता है। मंकीपोक्स वायरस की खोज, लक्षण, नुकसान और निवारण सब पता है इसलिए इस बीमारी को हमें फैलने से रोक सकते है।

एक और बात हमारी सरकार ने हमको इतनी सुख- सुविधा दी है, जिनका उपयोग आम जनता को लेना नही आता है। देश के बहुत कम लोग ही इसका उपयोग कर पाते है। उसी तरह से ये कही जाने वाली बात भी सही है सबसे पहले जब मंकीपोक्स नाम का वायरस आया था तब सरकार ने इससे बचने के पुख्ता इंतजाम कर रखे थे।

इन सबको देखते ही भारत जैसा देश इन सबसे बचता आ रहा है। रोग और प्रतिरोग जैसी क्रिया तो आज से  नही बरसो से चली आ रही हैं। देश इतनी उचाईयों पर है की समय – समय पर उसका निदान भी मिल रहा है। औरो के जैसा हमको भी बनना है सारे नियमोें का पालन करके हमें  देश को इस बीमारियों से बचाना है।

कोरोना हो या मंकीपोक्स वायरस बीमारी नुकसान तो सबसे होता ही है  सोचना अब यह है कि हमको किस तेरीके से मंकीपोक्स वायरस रोकना है।

समाज का हित तो वही सोच सकता है जो समाज से प्यार करता हो, उसे अपना समझता हो। मंकीपोक्स नाम की बीमारी से ज्यादा घबराने की ज़रुरत नही है, इसको यदि सही समय पर इलाज मिल जाए तो यह जल्दी ठीक भी हो जाती है।

इस प्रकार के वायरस से जान को कोई खतरा नही होता है। आप यदि बताई गयी बातों को नही समझोगे और  उनको अपनाओगे नही तो शरीर को नुकसान तो पहुुंचेगा ही इसका जिम्मेदार कोई और नही आप खुद ही हो।

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मंकीपोक्स वायरस क्या है ? – Monkeypox Virus Kya Hai?

Monkeypox Virus in Hindi

आज हमारा देश और विदेश कोरोना जैसी महामारी से निपट नही पाया और एक बार फिर से नई बीमारी ने हमारे देशों मे दस्तक दे दी है। जिसको मंकीपोक्स नाम (monkeypox virus in hindi) से जाना जाता है।

यह वायरस चेचक की भाँति नज़र आता है लेकिन वह चेचक नही होता। इस प्रकार के वायरस का विकास सन् (1958) मे हुई थी। यह वायरस सबसे पहले बंदरो मे पाया गया था, जिसको ऑर्थोपोक्स वायरस नाम दिया गया था।

हम इसको आसान और सरल शब्दों मंकीपोक्स (monkeypox virus in hindi) से संकृमित जानवरो से फैलने वाला वायरस भी कह सकते है। प्राचीन समय में सरकार ने चेचक के टीके पूरी दुनिया मे लगवाकर इस वायरस को सन् (1980) में खत्म कर दिया था। समय के बदलाव के कारण इस वायरस ने एक बार फिर से जन्म ले लिया है।

यह मंकीपोक्स वायरस  (monkeypox virus in hindi) ज्यादातर मध्य अफ्रीकी और पश्चमि अफ्रीकी देशों के ग्रामीण व बारिश वाले इलाकों मे ज्यादातर देखने को मिल रहा है। यह भी कथन सुनने को मिल रहा है कि मंकीपोक्स वायरस जंगली जानवरो मे पाया जा रहा हैं।

इस वायरस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि बंदरों के द्वारा काटे जाने, उनके ख़ून या फिर उनके फर को छू लेने से यह फैलता है पर आज के रिसर्च के मुताबिक इस वायरस की पुष्टि चूहों, खरगोश और गिलेहरियों द्वारा फैला माना जा रहा है।

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मंकीपोक्स बीमारी से होने वाले नुकसान – Monkeypox Bimari Se Hone Wale Nuksan

मंकीपोक्स (monkeypox virus in hindi) नाम के वायरस ने संकृमित व्यक्ति के शरीर को तोड़ कर रख दिया है या आप यह भी कह सकते है की इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर को कमजोर कर दिया है। इस प्रकार के वायरस ने शरीर को बहुत नुकसान पहुॅचाया है।

मंकीपोक्स के लक्षण – Monkeypox Ke Laksan

इस वायरस (monkeypox virus in hindi) की प्रकिया को दिखाई देने में 5 से 21 दिनों का समय लगता हैं, फिर धीरे- धीरे बुखार,सिरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी, पीठ में दर्द और थकावट जैसे घातक नुकसान हमारे शरीर में दस्तक देते है।

यह भी कहा गया है कि यह वायरस आँख, नाक  और मुँह के माध्यम से दाखिल होते हैं।

शोधकर्ता ने यह भी बताया है कि इन लक्षणों के दिखते ही कम से कम 5 दिनों मे संकृमित व्यक्ति के चेहरे पर लाल रंग के दाने निकलने शुरू हो जाते है जो की चिकनपॉक्स की भाँति नजर आती है।

जब इस प्रक्रिया के दिन बढ़ते जाते है तो उभरे हुए दाने चेहरे से शरीर की ओर फैलने लगते है जो हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाते है। इन दानों मे एक तरल पदार्थ भरा हुआ होता है। जब समय पूरा हो जाता है तब यह रोग पपड़ी के रूप में बदल जाता है।

मंकीपोक्स कैसे फैलता है? – Monkeypox Kaise Felta Hai?

दुनिया के कई देशों में मंकीपोक्स बीमारी के फैलने से  भारत सरकार की चिंताएं बढ़ गयी है। मंकीपोक्स (monkeypox virus in hindi) एक प्रकार की दुर्लभ बीमारी है जिसमें चेचक की भाँति स्थितियाँ सामने आ रही है

यह एक प्रकार से स्मॉल पॉक्स की तरह होता है जो शरीर पर दिखाई देता है। इस वायरस के फैलने के कई कारण बताये जा रहे है। यह संक्रमण इस वायरस से ग्रसित जानवरो के काटने, उनके ख़ून या फिर उनके फर को छूने से होता है।

एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि चूहों, गिलेहरियों और खरगोश जैसे जानवरो से फैल रहा है या आप इस रोग वाले व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर और उनकी किसी भी प्रकार की वस्तुओ को इस्तेमाल मे लाने से भी हो रहा है।

एक रिसर्च में यह भी पता चला है कि मंकीपोक्स वायरस (monkeypox virus in hindi) वाले व्यक्ति के छीकने या खासने से होता है। एक कथन यह भी सुनने में आ रहा है कि जो व्यक्ति इस संक्रमण वाले जानवर का मांस खा रहा है वह मंकीपोक्स नाम की बीमारी से झूझ रहा है।

मंकीपोक्स वायरस का उपचार – Monkeypox Virus Treatment In Hindi 

मंकीपोक्स (monkeypox virus in hindi) एक ऑर्थोपोक्स वायरस है जो की चेचक की तरह नज़र आता है। यह इतनी गम्भीर बीमारी नही है और ना ही इसका कोई ज्यादा खास इलाज है फिर भी इस वायरस को को देखते हुए सरकार ने बहुत सी सुविधा हमें प्रदान की है।

यह मंकीपोक्स नाम की बीमारी जानलेवा नही है लेकिन इस बीमारी को सही समय पर उपचार नही मिलने पर यह गम्भीर बन सकती है इसलिए यदि कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उसको तुरंत इलाज मिले तो वह ठीक हो सकते है।

आइये हम एक नज़र इसके उपचार पर डालते है-

1- मंकीपोक्स वाले व्यक्ति को आइसोलेशन में रखा जाता है जिससे यह बीमारी दुसरो को ना लगे।

2- हमे मास्क लगाना चाहिए जिससे हम कोरोना और मंकीपोक्स जैसी बीमारी से बच सकते है।

3- अपने आस -पास व घरो में सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए जिससे हमारे घर के किसी भी सदस्य को किसी भी प्रकार की बीमारी ना हो।

4- जब से मंकीपोक्स (monkeypox virus in hindi) नाम की बीमारी आई है तब से कुछ जानवरो मे इसका असर देखने को मिला है जिससे लोग इसके मांस का सेवन करते है और मंकीपोक्स बीमारी से ग्रसित हो जाते है।

इन सब बातों पर नज़र डालते हुए हमको सारे सवालों का उत्तर मिल गया जो हमको इस बीमारी से भृमित करते है की यह जानलेवा बीमारी हैं। यह संक्रमण अभी कुछ ही देशों में फैला है जैसे- फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, स्पेन जैसे देशों मे देखने को मिला है।

यह कोई जानलेवा बीमारी नही है कुछ लोगो ने इस वायरस पर अनेक प्रकार की चर्चा करके इसको बहुत बड़ी बीमारी का रूप दे दिया हैं। आप सब से अनुरोध है , कि जो नियम इसमें बताये गए है उनका पालन करे ताकि किसी भी प्रकार का वायरस हमारे देश को छू भी ना सके।

मंकी पॉक्स की मेडिसिन – Monkeypox Ki Medicine 

हालाँकि हाल ही में हुई एक स्टडी में पाया गया है कि कुछ एंटीवायरल दवाएं मंकीपॉक्‍स के लक्षणों में कमी लाने के साथ ही उसकी संक्रमणकारी अवधि (transitional period) को भी कम कर सकती है।

दरअसल द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में रिसर्चर्स ने साल 2018 से 2021 के बीच ब्रिटेन में मंकीपॉक्स (monkeypox virus in hindi) संक्रमण के शिकार हुए सात मरीजों पर पूर्व में की गई स्टडी का ब्योरा दिया है।

ऐसे में उन्होंने बताया कि दो एंटीवायरल दवाएं, ब्रिनसीडोफोविर (Brincidofovir) और टेकोविरिमैट (Tecovirimat) इस बीमारी के इलाज में मददगार हो सकती है। वहीं स्टडी के मुताबिक, ब्रिनसीडोफोविर के क्लिनिकल फायदे पाए जाने से प्रमाण मिले हैं, जबकि टेकोविरिमैट के बारे में अभी कुछ और रिसर्च की जरूरत है।

केवल यही नहीं बल्कि इस स्टडी के ऑथर डॉ ह्यूग एडलर (Dr Hugh Adler) ने बताया, ‘लिवरपूल यूनिवर्सिटी अस्पताल की एक टीम की रिपोर्ट में बताया गया है कि मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus in hindi) ब्लड और गले के स्वैब में पाया गया है।

निष्कर्ष: उम्मीद है की आपको आज की पोस्ट पसंद आई होगी। आज की पोस्ट में हमने मंकीपॉक्स (monkeypox in hindi) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। फिर भी आपके मन में कोई भी प्रश्न हो तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। अपको ये पोस्ट पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पे अपने दोस्तों को ज़रूर शेयर करें।

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