डीपफेक वीडियो कैसे पहचाने | Deepfake Video Kya Hai In Hindi

Deepfake Video Kya Hai In Hindi: Deepfake Video इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह है एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का विडिओ जो सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें एक महिला को लिफ्ट में इंटर करते देखा जा सकता है। विडिओ में चेहरा रश्मिका का है। लेकिन असल में यह कोई और महिला ओरिजिनल विडीओ ज़रा पटेल नाम के एक ब्रिटिश इंडियन लड़की का है, जिसके इंस्टाग्राम पर तकरीबन 4,00,000 फॉलोअर्स हैं।

आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स की मदद से ज़रा का चेहरा हटाकर रश्मिका के चेहरे को लगाया है। इस Deepfake Video के सामने आने के बाद एक बड़ी बहस शुरू हो गई है। केस तकनीक के गलत इस्तेमाल को रोका कैसे? तो आज इस पोस्ट में हम समझेंगे कि आखिर डीपफेक है क्या? ये तकनीकी काम कैसे करती है और सबसे अहम के आखिर डी पे कॉन्टेंट की पहचान कैसे किया जाना है?

डीपफेक वीडियो क्या होता है – Deepfake Video Kya Hai In Hindi

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डीपफेक क्या है? इस सवाल के जवाब के साथ हम आगे बढ़ते हैं। डिफेक्ट टर्म दो शब्दों से मिलकर बना है डीप लर्निंग और फेक यानी नकली फेक आवाज़ पैदा करना या फेक वीडियो बनाना। ये डीपफेक तकनीक का उद्देश्य है। अब दूसरे टर्म को समझ रहे हैं डीप लर्निंग, लर्निंग यानी सीखना और डीप लर्निंग यानी गहराई से सीखना।

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डीप फेक वीडियो कैसे बनते हैं?

गार्जियन की एक रिपोर्ट बताती है कि इसके लिए वही तकनीक इस्तेमाल होती है जो एआइ यानी आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स में यूज़ होती डी फेक सॉफ्टवेयर दो एल्गोरिदम का इस्तेमाल करता है। एक तो डीकोडर कहते हैं तो दूसरे को इनको डर एनकोडर फेक डिजिटल कॉन्टेंट बनाता है। यानी तस्वीर, वीडियो या आवाज। इसके बाद यह डेटा डिकोडर के पास जाता है। डिकोडर कॉन्टेंट को देखकर यह पता लगाता है की कॉन्टेन्ट रियल है या फेस। इसके बाद वो एनकोडर को ये जानकारी भेज देता है। इनको डर नहीं जानकारी के आधार पर अपनी गलतियाँ सुधार आता है ताकि जो कॉन्टेंट उसने बनाया था वो ज्यादा से ज्यादा रियल लग सके।

डीपफेक का उपयोग कहां किया जा रहा है?

तकनीकी भाषा में Generative Edward Cyril Network कहा जाता है तकनीकी बात आप समझ गए होंगे । अब देखिये इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है। डीपफेक के इस्तेमाल कुछ उदाहरण से समझिए। साल 2018 अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया जिसमे वो राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में अनाप शनाप बोलते दिखाई दे रहे थे। इस वीडियो में ओबामा के हाव भाव, उनके होठों का हल ना और उनकी आवाज़ एकदम रिअल जान पड़ती थी। लेकिन असल में ये Deepfake Video था। 2018 में ये तकनीक है अपने baby step ले रही थी। गौर से देखना और उसमें नुक्स निकालना आसान था। लेकिन आने वाले सालों में जैसा टेक्नोलॉजी के साथ आमतौर पर होता है डीप टेक्नोलॉजी बेहतर से बेहतर होती कही।

साल 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी एक डीपफेक वीडियो की काफी चर्चा हो रही थी। इस वीडियो में लोकसभा सांसद और भाजपा नेता मनोज तिवारी लोगों को अपनी पार्टी के पक्ष में वोट देने के लिए कह रहे थे। विडिओ में किसी दूसरे आर्टिस्ट द्वारा मनोज तिवारी की आवाज की नकल कर लगाई गई और डीपफेक के चलते उनके होठों का मूवमेंट इस तरह चेंज किया गया था ताकि ऐसा लगे की मनोज ही बोल रहे हो। हालांकि दूसरे डीपफेक वीडियो और इस वीडियो में एक मामले में अंतर था। यह वीडियो भाजपा द्वारा ही बनाया गया था।

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Deepfake Video कितने ख़तरनाक हो सकते है?

प्रचार के लिए डी फेक कितना खतरनाक हो सकता है ये रश्मिका मामले के बाद देखा जा सकता है। लेकिन इससे पहले इस विषय में भारत में कभी चर्चा नहीं हुई जबकि भारतीय सोशल मीडिया में यह सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है।

नहीं यूट्यूब चैनल पर तमाम फिल्मों के सीन की डीपफेक वीडियो पोस्ट की जाती रही है तो कई बार मीम्स बनाए जाते रहे। लोगों ने इसका इस्तेमाल अलग अलग तरीके से किया है। मसलन ऐतिहासिक लोगों की तस्वीरों को जीवंत बनाने के लिए भगत सिंह महात्मा गाँधी के ऐसे वीडियो पिछले दिनों खूब दिखाई दिए, जिनमें उनके स्टैटिक तस्वीर को वीडियो में बदला गया।

प्रोपेगैंडा वीडियो बनाने के लिए भी दुनिया भर में डीपफेक वीडियो का खूब इस्तेमाल होता रहा है और हो रहा है। राजनीतिक दल अपने विरोधियो के डीपफेक वीडियो शेर कर रहे हैं। वहीं रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भी कई ऐसे प्रॉपर ना वीडियो शेयर किए गए जिनकी जांच करने पर पता चला की वो डीपफेक के जरिये बनाए गए थे।

Deepfake Video की शुरुआत कहां से हुई?

डीपफेक की शुरुआत पर चलते हैं डी पे की शुरुआत कहाँ से और कैसे हुई यह ठीक ठाक बताना मुश्किल है। लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक इस शब्द का प्रचलन 2017 में शुरू हुआ जब एक रेडिट यूज़र ने पोर्न विडीओ में चेहरा बदलने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया। तब से पोर्नोग्राफी में इस तकनीक का काफी इस्तेमाल होता रहा है। ऐक्टर्स और एक्ट्रेस का चेहरा बदल के अश्लील कॉन्टेंट पोर्न साइट्स पर पोस्ट किया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार 2019 में ऑनलाइन पाए गए डीपफेक वीडियो में 96% अश्लील कॉन्टेंट था। दीपवेके खतरे क्या हैं? रश्मि काका डीपफेक वीडियो देखकर ये पहचानना काफी मुश्किल है। ये एक फेक वीडियो है। यही इस तकनीक का सबसे बड़ा खतरा है। किसी भी व्यक्ति का डीपफेक वीडियो बनाकर उसे बदनाम किया जा सकता है। क्रिमिनल केस में फंसाया जा सकता है। सबसे बड़ा खतरा ऑनलाइन ठगी का है। डीप एक्स इन नकली चेहरा लगाकर वीडियो कॉल और फिर उसे रेकोर्ड कर धमकी देना। ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चूके हैं।

फेक न्यूज़ फैलाने के लिए डीपफेक वीडियो सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं। ये बड़ा खतरा है क्योंकि डीपफेक वीडियो में सीधे सीधे ये पता लगाना मुश्किल है। तो ये वीडियो असली है या नकली? रश्मिका का फेक वीडियो सामने आने के बाद ये मांग उठने लगी है कि इस तकनीक के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने के रास्ते ढूंढे जाने चाहिए। खुद रश्मिका और अमिताभ बच्चन इस बाबत आवाज उठाई है।

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क्या डीपफेक बैन होना चाहिए?

तो चलिए जानते हैं इस मामले में कानून क्या कहता है? डी पे के खिलाफ़ कानूनी हथियार क्या है ये समझते है डीपफेक वीडियो की रोकथाम के लिए हमारे देश में साइबर पुलिस से लेकर पोर्टल जैसी सुविधाएं उपलब्ध है। साथ ही इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 हैं। तो किसी भी फेक वीडियो या फेक तस्वीर के इस्तेमाल पर सजा और जुर्माना तय करता है।

डी फेक तकनीक के जरिए अंजाम दिए गए सारे जुर्म भी इसी ऐक्ट के दायरे में आते हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति डिफेक्ट तकनीक का शिकार हो तो वो कानूनी मदद ले सकता है। हालांकि कानून के इस्तेमाल से पहले एक कदम और जरूरी है।

Deepfake Video को पहचाने कैसे

जागरूकता बहुत जरूरी है कि लोग इस तकनीक के गलत इस्तेमाल के बारे में जागरूक हों और साथ ही ये भी समझें कि अगर कोई डिफेक्ट, वीडियो, ऑडियो या तस्वीर उनके सामने से गुजरती है तो उसे पहचानना कैसे सा अब आपको यह बताते हैं कि कैसे पहचानना है deepfake content को सबसे पहले ताजा उदाहरण से समझ लेते हैं रश्मिका मंदना की विडिओ के शुरुआती एक सेकंड को गौर से देखा जाए तो साफ पता चलता है कि विडिओ में चेहरा किसी और का है जो लिफ्ट में घुसते ही रश्मिका के चेहरे में बदल जाता है।

किसी भी डीपफेक वीडियो को पकड़ने, पहचानने के लिए सी सावधानी की जरूरत होती है। किसी भी डीपफेक वीडियो को पहचानने के लिए आप कुछ खास चीजों पर ध्यान दे सकते हैं। उनमें सबसे पहले आती है फेस की पोज़ीशन। अक्सर डीपफेक तकनीक फेस और आके पोज़ीशन में मात खा जाता है।

उम्मीद है आपको आज की पोस्ट पसंद आई होगी। इसीलिए तरह की न्यूज़ पढ़ने के लिये हमारे साथ बने रहें धन्यवाद!

 

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