कारोना से ठीक होने के बाद कैसे रखें अपना ख्याल | How to take care of your health after recovering from corona in 2022
कोरोना से ठीक होने के बाद अब लाखो लोग अपनी पहले जैसी ज़िन्दगी जीने की तैयारी में लग चुके है। लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी उनमें से ज्यादातर 85 से 90प्रतिशत लोग नोर्मल फील नहीं कर रहे हैं। उन्हें कुछ ना कुछ समस्याएं अभी भी परेशान कर रही हैं जो उनके जीवन को नॉर्मल नहीं होने दे रही है। अब यह समस्या क्या है उनसे उभरकर नॉर्मल लाइफ कैसे जिए इन सब के बारे में आज हम जानेंगे।
कोरोना से ठीक होने के बाद शारिरिक समस्याएं : (physical problems)
सबसे पहले हम जानेगे physical problem के बारे में चलिए जानते है कोन कोनसी समस्याओं का हमें सामना करना पड़ सकता है:
कोरोना से ठीक होने के बाद शरीर के अंदर अत्यंतिक कमजोरी हो जाती है मानो जैसे शरीर में से जान ही निकल गई हो।
इसके अलावा तरह-तरह के दर्द होना, शरीर में दर्द, सर में दर्द, गले में दर्द, छाती में दर्द, पेट में दर्द, मसल्स में दर्द, जॉइंट में दर्द और भी बहुत तरह के दर्द का सामना करना पड़ता है।
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सांस फूलने लगती है, किसी की हार्टबीट बहुत तेज चलती है, किसी की हार्टबीट अचानक कम हो जाती है, किसी को पैरों में जलन की फीलिंग होती है, भूख खत्म हो जाती है इन सब की एक लंबी लिस्ट है फिजिकल प्रॉब्लम की जो कोरोना से ठीक के बाद हर व्यक्ती को महसूस होती है।
कोरोना से ठीक होने के बाद मानसिक समस्याए (psychological problem):
अब बात करते हैं हम psychological problem के बारे में
सबसे बड़ी प्रॉब्लम है डर, अचानक सबके मन में डर छा जाता है कुछ अनहोनी ना हो जाए यह डर मरीज को मेंटली तौर पर कमजोर कर देता है।
भारी परेशानी और टेंशन के मारे सब लोग मरे से जा रहे हैं
यह जो स्ट्रेस और साइक्लोजिकल प्रॉब्लम की वजह से आपको भूख नहीं लगती, इंसान हमेशा डरा हुआ सा रहता है, छाती में दर्द महसूस होता है। यह सब स्ट्रेस की वजह से होता है।
यह सारा कुछ मिलकर लोगों को 1% भी नॉर्मल फील नहीं होने देता है।
कोरोना से ठीक होने के बाद दवाइयों की जानकारी:
आप अगर होम आइसोलेशन में थे तो चांसेस है कि अब ज्यादा दवाई नहीं ले रहे होंगे लेकिन अगर आप अस्पताल से डिस्चार्ज हुये हो तो आप बहुत लंबी दवाइयों की लिस्ट में घेरे हुए होंगे। आप नीचे बताई हुई दवाइयों का सेवन कर रहे होंगे।
- स्टेरॉइड:
- ब्लड थिनर्स:
- एंटीबायोटिक:
- एंटीफंगल:
- एंटी एंग्जाइटी:
- एंटीवायरल
- नेबुलाइजर:
स्टेरॉइड्स बहुत डेंजरस मेडिसिन है वह शीघ्र ही बंद किया जाना चाहिए तो अपने डॉक्टर से सलाह लेकर स्टेरॉइड का सेवन करना जल्दी बंद करें।
ब्लड थिनर्स डिस्चार्ज के बाद 2 या 3 हफ्ते तक लिए जाते हैं जबकि आपको कोई प्रोटीन की प्रॉब्लम हुई हो इसे भी अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना बंद करें।
डिस्चार्ज के बाद आपको लोंग टर्म एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं है तो उनको भी जल्दी से जल्दी बंद करें और अपने आप एंटीबायोटिक्स का सेवन ना करें।
आजकल लोग फंगल से डरे हुए हैं बहुत से लोग एंटीफंगल का इस्तेमाल कर रहे हैं या किसी भी एंटी फंगल, एंटी वायरल, या किसी भी मेडिसिन का अपने आप इस्तेमाल ना करें यह सब केवल डॉक्टर की निगरानी में ही ली जाती है।
कोरोना से ठीक होने के बाद घर पर खुद की देखभाल कैसे रखें?
अगर आप कोरोना से ठीक होने के बाद घर पर आ गए हैं तो आपको तीन चीजों का ध्यान रखना है:
टेंपरेचर,सरक्युलेशन और हार्टबीट
अगर आप का टेंपरेचर 100 से ऊपर है तो हम इसको जरूर सिग्निफिकेंट मानेंगे लेकिन अगर हल्का फुल्का 58 या 59 टेंपरेचर हे और इसके अलावा आप बिल्कुल ठीक हैं आपकी भूख अच्छी है, आपको खाना खाने का मन कर रहा है, इसका मतलब बॉडी के अंदर सब कुछ ठीक है।
आपका सर्क्युलेशन 94 से ऊपर है या फिर 92, 93 है तो हम इसको ठीक मानते है लेकिन आपका हार्टबीट 110 या 120 से ऊपर है फिर आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
कोरोना से ठीक होने के बाद खतरे की घंटी
खतरे की घंटी क्या होती है? अगर कभी भी आपका 100 से ऊपर बुखार होने लगे या आपका सरकुलेशन कम होने लगे या फिर हार्टबीट 120, 140 हो जाए या कोई भी नए लक्षण देखने को मिले तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
कोरोना से ठीक होने के बाद रहती है कमजोरी
जो लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और ठीक होकर घर वापस आ गए हैं, वे लंबे समय तक कमजोरी भी महसूस करते हैं। उनके शरीर में यह थकान करीब तीन से चार सप्ताह तक रह सकती है।
दरअसल यह वायरल साइड इफेक्ट होता है। इस इफेक्ट को वायरल क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम भी कहा जाता है। यह सिंड्रोम डेंगू, स्वाइन फ्लू और इन्फ्लूएंजा के मरीजों में देखा जाता है, लेकिन इससे ठीक होने में एक से दो सप्ताह का समय लगता है।
वहीं कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों को इस सिंड्रोम के ठीक होने में एक महीना लग जाता है। मरीजों में यह थकान मानसिक व शारीरिक दोनों हो सकती है। क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मानसिक तनाव या थकान की स्थिति में कई बार मरीज याददाश्त भी खो बैठते हैं।
कोरोना से ठीक होने के बाद igG एंटीबॉडी टेस्ट
इंफेक्शन से लड़ाई के बाद बॉडी ऐसी एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करती है जो भविष्य में उसे इंफेक्शन से बचाने का काम करती है। शरीर में एंटीबॉडी का लेवल पता लगने के बाद आप न सिर्फ ये अंदाजा लगा सकते हैं कि इम्यून आपका कितना बचाव कर रहा है, बल्कि ये प्लाज्मा डोनेट करने में भी मददगार हो सकता है।
कोरोना से ठीक होने के बाद न्यूरो फंक्शन टेस्ट
कुछ कोरोना मरीजों में रिकवरी के हफ्ते या महीने भर बाद न्यूरोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल दिक्कतें देखने को मिलती है ये बेहद चिंताजनक है, इसलिए मेडिकल एक्सपर्ट रिकवरी के एक सप्ताह बाद ब्रेन और न्यूरोलॉजिकल फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह दे रहे हैं। दरअसल कोरोना में ब्रेन फॉग, एन्जाइटी, कंपकंपी और बेहोशी जैसे लक्षणों को भी देखा झांचना चाहिए।
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कोरोना से ठीक होने के बाद खानपान की जानकारी:
रोगियों का इस दौरान जरूर वेट लॉस हुआ होगा आपको वजन ठीक करना है इसके लिए आपको हाई प्रोटीन डाइट की जरूरत है जो लोग मांसाहारी है वह लोग मांस, मछली, मीट वगैरह ज्यादा से ज्यादा मात्रा में खाएं।
जो लोग शाकाहारी है वह लोग पनीर सोयाबीन चना राजमा यह सब वेजिटेरियन के लिए अच्छे प्रोटीन के स्त्रोत है।
चीनी की मात्रा कम से कम रखे बहुत से लोग डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर, टीबी, अस्थमा या दूसरी बीमारी से पीड़ित है उनकी जो दवाइयां है वह नियमित रूप से जरूर ले।
ताजा फल खाए पानी ज्यादा मात्रा में पिए फ्रेश फ्रूट जूस पिए। ये सब हेल्दी फूड खाने से बहुत जल्दी रिकवर कर सकते है।
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लंग फाइब्रोसिस क्या है?
लंग फाइब्रोसिस क्या होता है? जब हमारे लंग्स में स्वेलिंग होती है निमोनिया होता है तो वह सुज जाते हैं। बॉडी में कहीं भी अगर सूजन हो और वह लंग्स में हो तो फूले हुए
लंग्स सिकुड़ जाते हैं। लंग का इंवॉल्वमेंट हर कोविड़ मरीज में होता है।
लंग फाइब्रोसिस को ठीक कैसे करें?
लंग फाइब्रोसिस को ठीक करने के लिए सांस लेने की प्रक्रिया करें जितनी देर हो सके उतनी देर अपनी सास को रोककर रखें। यह प्रोसेस कोवीड के पेशेंट को पहले भी करने के लिए कहा गया था इससे काफी हद तक फायदा हुआ है। यह प्रोसेस तकरीबन 6 महीने तक करनी होती है।
अगर आप यह 6 महीने तक लगातार यह प्रोसेस करते रहें। ब्रीधींग टाइम 30 सेकंड से ऊपर रखें आपके लंग्स इतने अच्छे हो जाएंगे कि फाइब्रोसिस कभी अटैक नहीं कर पाएगा।
एक बात का ध्यान रखें कि स्वास को एक मिनट से ज्यादा रोकने की कोशिश ना करें इससे नुकसान भी हो सकता है और हार्ट पेशेंट को यह प्रोसेसिंग नहीं करनी चाहिए।
कोरोना से ठीक होने के बाद तन और मन की देखभाल
हमने ऊपर पढ़ा की बहुत सारी फिजिकल प्रॉब्लम होती है बहुत सारे साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है यह क्यों हो रही है एक तो यह है कि आप इतने दिन आईसीयू मे रहे, अस्पताल में रहे, खानपान पूरा नहीं हुआ शरीर के अंदर इंफेक्शन हुआ दवाइयां खाते रहे इन सब में फिजिकल स्ट्रेस था वह कारण है, इससे भी बड़ा कारण है मेंटल स्ट्रेस। मेंटल स्ट्रेस क्यों?
लोगों को भविष्य की चिंता है, किसी को फाइनेंसियल स्ट्रेस है, किसी को कल क्या होगा इसका स्ट्रेस है, कोई दिन-रात टीवी और व्हाट्सएप पर न्यूज़ देख देख कर आने वाले खतरों की वजह से स्ट्रेस में है स्ट्रेस ही हमारी सारी प्रॉब्लम्स का जड़ है।
हमें स्ट्रेस को दूर करना होगा तभी हमारी जिंदगी नॉर्मल हो पाएगी फिजिकली भी और मेंटली भी दोनों तरह से उसके लिए क्या करें आईए इसके के बारे में जानते हैं।
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कोरोना से ठीक होने के बाद वास्तविकता स्वीकारें
वास्तविकता को स्वीकार और सही कदम ले कृपया इस बात को समझें कि 2021 के बचे महीनों में जो हमारे सोशल डिस्टेंसिंग covid एप्रोप्रियेट बिहेवियर की वजह से वहीं रहने वाले हैं और हमें उनके दायरे में अपनी जिंदगी बिताना सीखना है।
कोरोना से ठीक होने के बाद दिनचर्या ठीक करे:
अस्पताल में रहकर और बाकी सब कारणों से हमारी दिनचर्या बदल जाती है। हमें अपनी पहले वाली दिनचर्या को वापस लाना है उसके लिए सबसे अहम बिंदु रात का सोना। रात को 11:00 बजे से पहले- पहले बेड पर चले जाइए।
सुबह उठने के बाद मॉर्निंग की दिनचर्या से प्रेरित होकर एक्सरसाइजएक्सरसाइज करें, 30 से 40 मिनट का व्यायाम करें उसके बाद आप अपना नाश्ता वगैरह करिए और उसके बाद 10 से 15 मिनट मेडिटेशन जरूर करें यह सब स्ट्रेस को रिड्यूस करने में बहुत ही फायदेमंद है।
कोरोना से ठीक होने के बाद सार्थक कामों से जुड़े:
हमें अपने स्ट्रेस को दूर करने के लिए कोई ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे दूसरों का भला हो और हमें उससे खुशी मिले और उसमें आप अपना मन लगा देंगे तो इससे आपका इस स्ट्रेस कम होगा।
कोरोना से ठीक होने के बाद परिवार से बातें शेयर करें:
हम इस लोक डाउन के समय में लोगों से बहुत दूर हो गए हैं हमें हर समय सोशियल डिस्टेंसिंग का पालन करना होता है।
वास्तव में ये सोशियल डिस्टेंसिंग शब्द गलत है इसका सही मायेना है फिजिकल डिस्टेंसिंग हमें लोगों से फिजिकली तो दूर रहना है लेकिन मन को एक दूसरे के पास करना है.
जब कोरोना होता तो हम कहते हैं don’t mix isolate लेकिन कोरोना से ठीक होने के लिए जरूरी है कि हम लोगों से अपनी बात शेयर करें जो आपके मन में डर है जिस बात का आपको दुख है जो भी आपकी समस्या है उनको दूसरों से सांझा करिए।
आपने अपनी समस्याएं दूसरों से शेयर की हो सकता है की वह आपको कुछ सुझाव दें आप को सांत्वना दें जिससे आपको अकेलापन महसूस ना हो आप अच्छा महसूस करें जिससे आपका स्ट्रेस भी कम होगा।
नकारात्मक जानकारी से बचें:
टीवी पे, व्हाट्सएप पे बहुत ज्यादा नकारात्मक चीजें आ रही है तो नेगेटिव न्यूज़ से को दूर रखें। संगीत सुनें आप की हॉबी है उन पर ध्यान दें नकारात्मक सोच से बचें।
सकारात्मक सोच रखें:
रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग सकारात्मक सोचते हैं वह नकारात्मक सोच रखने वालों के मुकाबले 7 से 10 साल ज्यादा जीते हैं, सक्सेसफुल रहते हैं, हर वक्त खुश रहते हैं और ज्यादा सफल होते हैं सो प्लीज इस नेगेटिव माहौल में भी अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखें इसे आप अपना और अपनी फैमिली का सोसाइटी का और अपने देश का सबका भला करेंगे इससे सबका स्ट्रेस कम होगा।
कोरोना पेशेंट एक बार ठीक होने के बाद क्या दोबारा भी कोरोना से संक्रमित हो सकता है?
कोरोना संक्रमण एक वायरल जीव से होता है, इसलिए यह बीमारी बार-बार हो सकती है। जैसे हमें सर्दी बुखार होता है वह भी एक वायरल बीमारी है वह जैसे बार-बार होती है वैसे ही कोरोना का संक्रमण किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बार-बार हो सकता है। इसलिए कोरोना से ठीक होने के बाद दोबारा भी कोरोना हो सकता है।
क्या वायरल बुखार होना कोरोन वायरस का संक्रमण हो सकता है?
मौसम में हो रहे बदलाव के कारण कफ, कोल्ड, फीवर, गले में खराश, खांसी, सिर में दर्द आदि समस्याएं होना एक आम बात है। लेकिन ये वायरल समस्याएं कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नहीं हैं। हालांकि वायरल समस्याएं भी वायरस के वजह से ही होते हैं। लेकिन ये वायरस कोरोना वायरस से एकदम अलग हैं।
वायरल फीवर या कोरोना वायरस में अंतर:
साधारण तौर पर वायरल फीवर और कोरोना वायरस के लक्षण एक समान ही हैं, जैसे- सर्दी-जुकाम, बुखार, गले में खराश और खांसी आदि। कोरोना वायरस भी शुरुआती चरण में वायरल फीवर के तरह ही लक्षण दिखाता है।
अगर आप पिछले दो सप्ताह में ऐसे जगह से आए हैं, जहां कोरोना वायरल महामारी फैली हुई है या पिछले दो हफ्तों में आप किसी कोविड-19 पेशेंट के संपर्क में आए हैं, तभी आपको इस बात की शंका होनी चाहिए कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है। अन्यथा आपको परेशान होने की जगह वायरल फीवर की दवा लेने की जरूरत है।
कोराना से ठीक होने के बाद आपको पहले जैसी ज़िन्दगी जीनी है इस बात को याद रखे की अपने परिवार के लिए आपको पहले जैसी निर्मल लाईफ जीनी है।
उम्मीद है कि आपको मेरी यह पोस्ट पसंद आई होगी।
कृप्या आप इसे दूसरों तक भी पहोंचाए और अपना फीडबैक देकर मेरा आत्मविश्वास बढ़ाए।
धन्यवाद।