Triglycerides in Hindi : आज के समय में हृदय रोग की समस्या लोगो में काफी अधिक हो गई है। जिसके कारण आज विश्व भर में लोग हृदय की समस्या से काफी मर रहे है। हृदय रोग केवल ब्लड प्रेशर या अन्य समस्या से नही होता है। उसके अलावा भी कई कारण होते है। जिसमे से एक होता है ट्राइग्लिसराइड्स।
अगर आप भी जानना चाहते है कि यह ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) क्या होता हैं, क्या हैं इसके लक्षण और इलाज क्या हैं? तो आपको आज का आर्टिकल अंत तक पढ़ना चाहिए। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इन्ही विषय पर जानकारी प्रदान करने का प्रयास करेंगे।
ट्राइग्लिसराइड्स क्या होता हैं? – What is Triglycerides
इस ट्राइग्लिसराइड्स की बात करे तो यह एक तरह का fat होता है जो आपके ब्लड स्ट्रीम में मौजूद होते है। हमारा शरीर इन्ही फैट से शरीर को चलाने के लिए ऊर्जा प्राप्त करता है।
शरीर में अगर ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल नॉर्मल रहता है तो यह आपके शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। लेकिन जब ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ने लगती है तो यह आपके हृदय के स्वास्थ्य के लिए बेहतर नही होता है।
अगर आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का लेबल बढ़ जाता है तो उससे धमनियां अवरुद्ध हो जाती है। जिससे फिर आपको कई हृदय रोग और डायबिटीज की समस्या हो जाती है। जिससे मृत्यु का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है।
ट्राइग्लिसराइड्स कोलेस्ट्रॉल से कैसे भिन्न होते हैं?
ऐसे देखा जाए तो Triglycerides और Cholesterol दोनो ही हृदय रोग होने में निर्भर करते है। आपके जानकारी के लिए बता दे कि Triglycerides एक फैट और cholesterol नही है। कोलेस्ट्रोल को लिवर के द्वारा बनाया जाता है। इस कोलेस्ट्रोल का प्रयोग सेल के दीवारों को बनाने के लिए किया जाता है। यह कोलेस्ट्रोल डाइजेशन और हार्मोनल सिस्टम दोनो का ही एक अहम हिस्सा माना जाता है।
रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स कैसे प्रसारित होते हैं?
कोलेस्ट्रोल की बात करे तो यह आपके ब्लड में मिल नही सकता है। इसके बजाय लीवर ट्राइग्लिसराइड्स और लिपोप्रोटीन नामक प्रोटीन के साथ मिलकर कोलेस्ट्रॉल को मिलता है।
लिपोप्रोटीन इस कंपोजिशन को पूरे शरीर में ले जाता है। इन लिपोप्रोटीन के प्रकार की बात करे तो यह 3 प्रकार के होते है,
- Very low density lipoprotein
- Low density lipoprotein
- High density lipoprotein
ट्राइग्लिसराइड्स की जटिलताओं क्या हैं?
अगर शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ जाती है तो उसे आपको कई तरह के रोग की शिकायत हो सकती है जैसे,
- कैरोटिड आर्टरी डिजीज (carotid artery disease)
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज और दिल का दौरा (Coronary Artery Disease and Heart Attack)
- मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे का एक संयोजन
- पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral artery disease)
- स्ट्रोक (stroke)
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ट्राइग्लिसराइड्स के कारण क्या है?
आपको Triglycerides की समस्या कई कारण से हो सकते है, जिसमे से मुख्य कारण हमने नीचे बताए हुआ है, जैसे,
- मोटापा (Obesity)
- मधुमेह जो नियंत्रण में नहीं है (Diabetes)
- थायराइड की समस्या
- गुर्दे की बीमारी (Kidney disease)
- जलने से ज्यादा कैलोरी खाना
- बहुत अधिक शराब पीना
ट्राइग्लिसराइड होने पर इसका उच्च स्तर कितना होता है? – High Triglycerides in Hindi
हमे कैसे पता चलेगा कि हमारे शरीर में ट्राइग्लिसराइड बढ़ा हुआ है? यह जानने के लिए आपको Triglyceride का टेस्ट कराना होगा। जिसके लिए आपको लीवर फंक्शन टेस्ट करवाना होगा और साथ में ट्राइग्लिसराइड का प्रोफाइल टेस्ट।
अगर आपके लीवर फंक्शन टेस्ट में ALT और AST का रेंज बढ़ा हुआ है तो आपको फिर Triglyceride का टेस्ट करवाना होता है। Triglyceride से आपको यह मालूम चलता है कि आपके ब्लड में फैट की मात्रा कितनी है?
वैल्यू की बात करे तो वो नीचे दिए हुए है,
- हल्का: 150-199 मिलीग्राम/डीएल
- मध्यम: 200-499 मिलीग्राम/डीएल
- गंभीर: 500 मिलीग्राम / डीएल से अधिक
ट्राइग्लिसराइड्स का इलाज क्या है?
इस ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या का इलाज की बात करे तो आपको डॉक्टर शुरुवात में दवाइया ही देते है। अगर आप उन दवाइयों से ठीक हो जाती है। तो ठीक है। वरना आपको हार्ट सर्जरी करवाना होता है।
Heart surgery करवाने से पहले आपको कुछ टेस्ट करवाने होते है। अगर उन टेस्ट की रिर्पोट नॉर्मल होती है तो ही आप आगे कुछ कर सकते है।
अगर Triglycerides की समस्या का इलाज समय पर नहीं किया जाता है तो मरीज को अग्नाशयशोथ का खतरा बढ़ जाता है। अग्न्याशय की यह समस्या गंभीर और दर्दनाक भी हो सकती है। अगर इस समस्या का समय पर इलाज नही किया तो यह आपके लिए जानलेवा भी हो सकती है।
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ट्राइग्लिसराइड्स को कैसे रोका जा सकता है?
आप दवाई करने के साथ साथ कुछ उपाय भी कर सकते है जिससे ट्राइग्लिसराइड्स को रोका जा सकता है,
- आपको अपनी डाइट में गुड फैट को जोड़ना चाहिए जैसे दही, मक्खन।
- आपको एवोकैडो जैसे फल को भी अपने डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।
- साथ ही में आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप डीप फ्राईड, ट्रांस फैट और जंक फूड के सेवन से बच पाए। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें मौजूद फैट बर्न नही हो पाता है। जिससे शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ सकती है।
- आपको दिन में कम से कम 1 हजार कदम डेली चलना चाहिए।
- आपको अपने दिनचर्या में रोजाना वर्कआउट, व्यायाम, योग को जोड़ना चाहिए।
- आप अगर लंबे समय तक एक जगह बैठकर काम करने वाले जॉब करते है तो आपको हफ्ते में एक से दो दिन के लिए zumba या aerobics class को जरूर ज्वाइन करना चाहिए।
- अगर आपका वजन काफी अधिक है तो आपको उसको कम करने का प्रयास करना चाहिए।
- आपको अपनी डाइट में से चीनी को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
- आप अगर स्मोकिंग या ड्रिंकिंग नियमित रूप से करते रहते है तो आपको उसे खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
Disclaimer: हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से Triglycerides से संबंधित जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है। अगर आप भी ट्राइग्लिसराइड्स से संबंधित बीमारी से ग्रस्त है तो आपको इस अपने डॉक्टर के प्रमार्श को ही फॉलो करना चाहिए। हमने केवल आपको जानकारी दी है। कृपा कोई भी इलाज खुद से करने का प्रयास न करे। यह आपके लिए खतरनाक और जानलेवा भी साबित हो सकता है।
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F.A.Q. Triglycerides In Hindi
ट्राइग्लिसराइड्स नॉर्मल कितना होता है?
इस ट्राइग्लिसराइड्स का नॉर्मल रेंज 150-199 मिलीग्राम/डीएल के बीच में होता है।
ट्राइग्लिसराइड्स का कौन सा स्तर खतरनाक है?
इस ट्राइग्लिसराइड्स का खतरनाक स्तर 500 मिलीग्राम / डीएल से अधिक होता है।
शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने से क्या होता है?
अगर आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ जाता है तो उससे आपको हार्ट से जुड़ी समस्या होने का चांस काफी बढ़ जाता है।
ट्राइग्लिसराइड्स का खतरा स्तर क्या है?
इस ट्राइग्लिसराइड्स का खतरा स्तर 200-499 मिलीग्राम/डीएल के बीच में होता है।